"कोलतार में दबी झोपडिया"
सडक वाले बाबू ,
आपने भी देखी मेरी कुटिया ||
यहीं तो थी,
अम्मा ने हफ्ते भर बटोरे थे बसंठियॉ ,
मैंने और छुटकी ने भी
दिनभर समेेटे थे धगियॉं,
धूप तपकर अब्बा ने बुनी,
तब खडी हुई झोपटिया,
अरे सडक वाले बाबू,
कहॉं खो गयी,
कहीं दिखती नहीं
वह टपटपकिया,
सडक वाले बाबू ,
कोलतार हटाओ ,
क्यों दबायी हमारी बिसरिया,
अरे अब्बा कैसे बनायेंगे दथढियॉ,
कौन कमायेगा रूपइयॉं,
अरे सुनो तो,
सडक वाले बाबू,
कहॉं सेकेगी अब अम्मा रोटियॉं,
क्या खायेगी छुटिया,
दादू भी तो बीमार हैं,
कहॉं बितायेंगे वो रतियॉं,
अरे भागते कहॉं हो ,
सुनो तो,
अरे सडक वाले बाबू ,
सुनो तो,
अरे, .......अरे...........|
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