Thursday, July 15, 2021

"कंचे जैसे दोस्त"

 "कंचे जैसे दोस्त"

एक बच्चा

जब समेटता है

अपने गिरे कंचों को

खुले मुंह के डब्बे में,

उठाकर डाल देता है

बहुत आसानी से

पहले कंचे को

खुले मुंह के डब्बे में,

ज्यों ही झुकता है

उठाने को दूसरा कंचा,

मुट्ठी में आ भी जाए

पर गिर जाता पहला कंचा,

डालकर डब्बे में दूसरा कंचा

ज्यों ही झुकता है

उठानें को अगला कंचा

फिर गिर जाता है पिछला कंचा,

बार बार कोशिश करे

लाख बार कोशिश करे

लेकिन हाथ में आये

सिर्फ एक ही कंचा,

खुले मुंह के डब्बे जैसी जिन्दगी

कंचों जैसे दोस्त

बन जाते आसानी से नये रिश्ते

लेकिन छुट जाते हैं पुराने दोस्त,

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